बेटी बचाओ बेटी पढाओ भारत में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए एक अभियान है। देश में हर दिन 10,000 लड़कियां खो जाती हैं। हर दिन मरने वाली लड़कियों की संख्या बढ़ती जा रही है। बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान से कन्या भ्रूण हत्या खत्म होने की उम्मीद है। अभियान महिलाओं के लिए शिक्षा और आर्थिक अवसर प्रदान करने पर भी केंद्रित है। अभियान बहुआयामी है। यह भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाली शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और नीतियों पर केंद्रित है। यह अन्य अभियानों पर भी ध्यान केंद्रित करता है जो पहले से मौजूद हैं।
बेटी बचाओ बेटी पढाओ निबंध
(Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi )
जीवन का आधार है बेटी
संसार की मूरत है बेटी
आज हमारे 21वी सदी के भारत में जहां एक और चांद पर जाने की बातें होती हैं, वही दुसरी ओर भारत की बेटी अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं।
“बेटी बचाओ बेटी पढाओ” योजना का शुभारम्भ भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को पानीपत, हरियाणा से किया था। योजना देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने देश को आव्हान किया और सभी देशवासियों को एकजुट होकर लड़कियों की कम जनसंख्या को संतुलित करने का संकल्प लिया।
“बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” केवल एक योजना यह अभियान नहीं है। ये लोगो की सोच से जुडा सामाजिक विषय हैं। इसके पीछे महत्व लोगो की छोटी सोच को बदलना है। जो की एक कठिन कार्य है, ऐसा कोई भी काम नहीं है जो बेटी नहीं कर सकती है। वह भी देश की प्रगति में मैं समान रूप से भागीदार हैं।
आज हमारे देश की बेटी हर मुकाम पर सफल प्रप्त कर रही है। चाह वह रजनीति हो, काले हो या अंतरिक्ष ही क्यों ना हो। देश की उन्नति और विकास में बेटी अपना पूर्ण योगदान दे रही हैं।
परंतु आज भी बेटियों को बेटो के समान दरजा नहीं दिया जाता। इसे एक सामाजिक दोष तथा विकृत परम्परा ही कहा जायेगा की बेटी और बेटो में भेदभाव किया जाता है। यह अंतर इस हद तक व्याप्त है की परिवार में लड़के के जन्म पर खुशी छा जाती है, जबकी कन्या का जन्म शुभ, अशुभ और परिवार बार बोझ , चिंता जनक तथा दुखमूलक समझा जाने लगा है।
देश में लगातर घटी कन्या- शिशु- दर को संतुलित करने के लिए योजना की शुरुआत की गई है। किसी भी देश के लिए मानवीय संस्थान के रूप में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान रूप से महानवपूर्ण होते हैं। लड़कियों के साथ शोषण होने के पीछे मुख्य करन अशिक्षा भी है।
अगर हम पढ़े लिखे शिक्षा होते हैं तो हम सही गलत का ज्ञान होता है। जब बेटीयां अपने पैरों पर खड़ी होगी तो कोई भी उनको बोझ नहीं समझेगा। शिक्षा और संस्कारी बेटी दो कुलो का नाम रौशन करती है। अपना द्रिष्टी-कोण बदले और बेटी को सच्चे हृदय से ऊपर उठा कर समीक्ष लाने का प्रयास करें और उसकी प्रगति में सहयोग करें।